Friday, September 30, 2011

पहली बार मां बन रही युवतियों के लिए वेबसाइट हुई लॉन्च


बैंकॉक (थाईलैंड) (मीडियाभारती सिंडीकेशन सर्विस): पहली बार मां बनने जा रही युवतियों के लिए वेबसाइट फर्स्टटाइममदर्स.इन (Firsttimemothers.in) लॉन्च की गई है।

संयुक्त राष्ट्र में एशियन फोरम ऑफ पार्लियामेंटेरियन्स फॉर पॉपूलेशन एंड डेवलपमेंट (एएफपीपीडी) के कार्यकारी निदेशक शिव खरे ने बटन दबाकर वेबसाइट को लॉन्च किया।

इस अवसर पर बोलते हुए खरे ने कहा कि स्वास्थ्य शिक्षा और नियोजित तरीके से बच्चों के पालन-पोषण के लिए जरूरी बातों को जानने के लिए इस तरह की वेबसाइटों की महती आवश्यकता है।

फर्स्टटाइममदर्स.इन की संपादक मुक्ता के. खंडेलवाल ने कहा कि पहली बार मां बनने जा रही युवतियों को इस वेबसाइट के जरिए बहुत सहायता मिलेगी। उन्होंने बताया कि गर्भावस्था के दौरान खाने-पीने से लेकर स्वास्थ्य संबंधी और दूसरी सभी तरह की समस्याओं से निजात पाने के लिए दुनियाभर के वरिष्ठ विशेषज्ञों की सेवाएं यहां मौजूद होंगी।

फर्स्टटाइममदर्स.इन को तकनीकी सहायता मीडियाभारती वेब सॉल्युशन्स ने उपलब्ध कराई है। समूह प्रमुख धर्मेंद्र कुमार ने अपने बधाई संदेश में कहा कि वेबसाइट में सभी अत्याधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल किया गया है और पहली बार मां बनने जा रही युवतियों के लिए सूचनाओं का यह सर्वश्रेष्ठ प्लेटफॉर्म साबित होगा।
 
इस मौके पर सलाहकार संपादक ब्रज खंडेलवाल और समाजसेवी पद्मिनी अय्यर भी मौजूद थे।

Website Dedicated To First Time Mothers Launched in Bangkok


Bangkok (Thailand): Website Firsttimemothers.in, dedicated to first time mothers, launched at a simple ceremony here.

Shiv Khare, Executive Director of Asian Forum of Parliamentarians for Population and Development (AFPPD) under the flag of United Nations, pressed the button to launch the site.

On the occasion, Khare said, 'Such websites are necessary for health education and planned parenthood to create better awareness and understanding.'

'This website will guide you through those critical moments and phases of life when you need continuous counseling and support of those who know their job', said Mukta K Gupta, the Editor.
She further said, 'Questions keep cropping up at a speed faster than a rocket in space. Ask any first time mother. What to eat, what to wear, where to shop for baby stuff, how to take care of the baby, am I doing a good job, what to name her, what to feed the baby, is the new-born too thin or too fat, a whole lot of questions that every anxious mother seeks answers to.'

The website has been developed by Mediabharti Web Solutions, a leading web development service. 'Website has all new features those are the latest trend in the industry. All the 'to be first time mothers' can get valuable information regarding their motherhood and a technically reliable platform', said Dharmendra Kumar, MWS Chief, in his wishes.

Consulting Editor Brij Khandelwal and Social Activist Padmini Aiyyer were also present at the ceremony.

Thursday, August 18, 2011

कड़ाही.कॉम के साथ शुरू हुआ ‘खाना-पीना सबके लिए’ अभियान

फरीदाबाद (भारत): ‘खाना-पीना सबके लिए’ अभियान की शुरुआत करते हुए मीडियाभारती वेब सॉल्यूशन्स ने एक वेबसाइट कड़ाही.कॉम का शुभारंभ किया है।
संपादक रजत वार्ष्णेय ने बताया कि इस वेबसाइट पर खाने-पीने से जुड़ी सभी जानकारियां मुहैया कराई जाएंगी। इसके जरिए देश और दुनिया में मौजूद खान-पान की सभी शैलियों के बारे में लेखों और पाक विधियों के जरिए विस्तार से बताने का प्रयास किया जाएगा।

‘इसके अलावा दूसरी अन्य भोजन गतिविधियों को भी पाठकों के लिए अद्यतन प्रस्तुत किया जाएगा।‘

लॉन्चिंग के मौके पर मौजूद मीडियाभारती वेब सॉल्युशन प्रमुख धर्मेंद्र कुमार ने कहा कि खाने-पीने को विलासिता से जोड़े जाने को देखते हुए इस वेबसाइट के जरिए उन लोगों को भी इस अभियान से जोड़ा जाएगा जो खाने-पीने के शौक से दूर हैं... और जिन्हें ‘अभावग्रस्त’ कहा जाता है।

Monday, August 15, 2011

Campaign Against Hunger Begins, Kadahi.com Launched

Faridabad (Haryana): Website Kadahi.com was Monday afternoon launched after an ‘Online Dawat’ on Facebook, first of its own kind.

Rajat Varshney, Editor, said, the project has been designed to cater all about the food, recipes, food styles etc. He said the website is user-friendly and focuses on the various aspects of the fooding.

Website has been developed by Mediabharti Web Solutions.

In his welcome speech, Dharmendra Kumar, Editor, Mediabharti.com, said that the eating, outing are considered as luxuries in our society, so there is a need to run a campaign, by which those people should also can get a association who are called as Haven’ts.

A lot of camps and food parties with every segment of society are in pipeline in coming years under the annual activities calander.

Brij Khandelwal, Editor, Agratoday.in, while offering his best wishes said "the motive behind this project is very unique and would be well supported.”

A large number of media persons and social activists were present at the online inaugural function.

कड़ाही.कॉम : खाना-पीना सबके लिए...

ऑनलाइन पाठकों को खाने-पीने की सभी शैलियों से परिचित कराने के लिए कड़ाही.कॉम की शुरुआत की जा रही है।

मुझे याद आ रही वह शाम जब घर पर ही मैं धर्मेंद्र कुमार, संपादक, मीडियाभारती.कॉम, के साथ कुछ व्यंजन और उनके स्वास्थ्य पर पड़ने वाले असर के बारे में बातचीत कर रहा था। बातचीत के बीच उन्होंने जिक्र किया कि हमारे समाज में खाने-पीने को विलासिता की चीज माना जाता है... और माना भी क्यों न जाए... जिस देश में एक बड़ी संख्या में लोग भूखे ही सो जाते हों वहां इस प्रकार की धारणा बनना कोई बड़ी बात नहीं है। इसलिए ‘अभावग्रस्त’ कहे जाने वाले लोगों से जोड़कर खाने-पीने का एक अभियान शुरू किया जाना चाहिए।

लंबी बातचीत के बाद तय हुआ कि क्यों न एक ऐसा मंच बनाया जाए जहां खाने-पीने से संबंधित सभी विचार-विमर्श हों और खाने-पीने की हर शैली का पूरा विवरण मिले और इतना ही नहीं उन अभावग्रस्तों के लिए भी कुछ हो जो अभी अच्छे खाने-पीने से कोसों दूर हैं। कड़ाही.कॉम का जन्म हो चुका था...

कड़ाही.कॉम के जरिए आनेवाले वर्षों में कई ऐसे आयोजन करने का प्रावधान रखा जा रहा है जिससे खाने-पीने को उन लोगों से भी जोड़ा जा सके जिनके लिए यह शौक का विषय नहीं है।

अब मैं जिक्र करूंगा कड़ाही.कॉम में समाविष्ट तत्वों का... शुरुआत करते हैं लोगो से... इसमें कड़ाही की एक तस्वीर है तथा रंगीन अक्षरों में कड़ाही.कॉम लिखा है... जो दुनियाभर के खान-पान में मौजूद विभिन्नता को दर्शाता है।

पाठकों को सरल नेविगेशन मुहैया कराने के लिए तीन मीनू रखे गए हैं। पहले, टॉप मीनू में होम, लेख, हमारे बारे में और प्रतिक्रिया के लिए लिंक दिए गए हैं। दूसरे, मुख्य मीनू में स्नैक्स, सूप, दाल-सब्जियां, मांसाहार, अंडे, रोटी, चावल, सलाद, मिठाइयां, शरबत और शराब से जुड़े लिंक दिए गए हैं।

तीसरे मीनू में हमारी अन्य सेवाओं और सहयोगी वेबसाइटों के लिंक दिए गए हैं।

साइट के मुख्य भाग में खान-पान से संबंधित चार प्रमुख आलेख दिए जाएंगे। इनमें आपको इंटरनेट पर मौजूद प्रसिद्ध चेहरों द्वारा रचित लेख, फोटो गैलरी और विशेष आलेख देखने और पढ़ने के लिए मिलेंगे।

दायीं ओर खान-पान से जुड़े नवीनतम वीडियो प्रदर्शित किए जाएंगे।

बहुत ज्यादा संख्या में विज्ञापनों से होने वाली परेशानी से बचने के लिए इसके लिए केवल दो मॉड्यूल रखे गए हैं। सभी विज्ञापन इन्हीं मॉड्यूलों में दिखाए जाएंगे। पॉप अप पूरी तरह प्रतिबंधित हैं।

साइट के नए रंग रूप को आपके सामने लाने में महीनेभर की अथक मेहनत में मेरे कई दोस्तों ने मेरी  अविस्मरणीय मदद की है। लोगो डिजायनिंग और रंग संयोजन में मेरी मदद जानी-मानी वेब डिजायनर आरती वर्मा ने की है। शेष डिजायनिंग और विषयवस्तु के लिए मैं अपनी छोटी बहन उत्प्रेरणा गुप्ता, अभिन्न मित्र अंकुश बादोनी के योगदान को नहीं भुला सकता। तकनीक और विषय सामग्री के लिए मैं धर्मेंद्र कुमार का हमेशा अभारी रहूंगा।

और हां...मेरे नानाजी और नानीजी द्वारा लगातार रखे गए मेरे खयाल को मैं कैसे भूल सकता हूं...

मेरी मम्मी सविता गुप्ता और पापा महेंद्र कुमार वार्ष्णेय का आशीर्वाद, जो हर वक्त मेरे साथ रहता है...

और हां... वे विघ्न भी याद हैं जो मेरी छोटी बहिन रोहिणी-रुक्मणि और प्रशांत, मयंक ने खड़े किए...

शुभकामनाओं सहित

रजत वार्ष्णेय
संपादक
कड़ाही.कॉम

Kadahi.com: Campaign Starts Against Hunger…

It is a great pleasure to present you Kadahi.com (कड़ाही.कॉम), an attractive and user friendly food guide.

I recall that eventful evening when I was discussing some delicious food recipes with Dharmendra Kumar,
Editor, Mediabharti.com, at Home. The topic of discussion was… some interesting food recipes,
preparations and their effects on health. Kumar suggested that the eating, outing are considered as
luxuries in our society, so there is a need to run a campaign, by which those people should also can get a
association who are called as Haven’ts…

We discussed it very long and finally stopped at a conclusion… Why should not we start a complete food
website and try to associate those people also with us. So we have lots of camps, food parties with every
segment of society in pipeline in coming years.

Kadahi.com would be an ideal platform for those also who have love for food and want to show their
talent to everyone.

That is how the seed was sown… Idea immediately struck and work began…

Let me now tell you about the features that have been incorporated in Kadahi.com for our valuable fans
and users. Let’s start from the logo. Logo has a ‘Kadahi’ as an image and very colorful text as denoting
the variety of food world over.

For smooth navigation, there are three Menus on site. First is Top Menu, which have Links for Home,
Articles, About us and Feedback button. Second, the Main Menu, has various sections like— Snacks,
Soups, Dal & Sabzi, Non-Veg, Eggs, Roti, Rice, Salads, Sweets, Shakes & Wine as well.
The third footer Menu has our services and other associated websites’ links.

In the main body of site, there would be 4 main stories about recipes and other food related topics. You
will get various write ups here by well known faces of online media, along with special features.

Latest Food videos would be displayed in right panel.

There are only two advertisement modules to ensure visitors don’t get irritated or inconvenienced. All the
advertisements would be shown in these two modules. And, Strictly ‘No’ to pop ups.

Now, I like to share with you how I have been helped by my friends who have put in a lot of hard work
and imagination. I would like to name some of my friends who helped me. Original idea for logo was
given by Aarti Verma, well known web designer.

I can’t ignore the marvelous contribution of Utprairna, my sister…, Ankush, Vinay my friends… in web and
content designing. I am also grateful of Dharmendra Kumar, who keeps scolding me all the time to aim
for perfection.

And… yes… I can’t forget those late night teas and milk that was arranged by my Naniji, and care by
Nanaji… and also blessing of my Mom Savita Gupta and Dad Mahendra Kumar Varshney and enjoy the
disturbance by my lovely little sisters Rohini - Rukmini, and bro the best Prashant, Mayank…

Best Wishes

Rajat Varshney
Editor

Sunday, July 10, 2011

जब किसी ने न सुनी फरियाद तो अदालत में लगाई गुहार...

धर्मेंद्र कुमार

दुबई की बिन खादिम कंपनी के तेल वाहक जहाज अल वतूल पर तैनात कराए गए नौ भारतीय युवकों का अभी तक कोई अता-पता नहीं है। थक हारकर परिजनों ने अहमदाबाद हाईकोर्ट की शरण ली है। परिजनों का कहना है कि सरकार और आरोपी सी-हॉर्स अकादमी इस मामले में ढिलाई बरत रहे हैं।
लापता नाविकों में से एक भूपेंद्र सिंह के पिता राजेंद्र सिंह चौधरी द्वारा गत 24 मार्च को सी-हॉर्स अकादमी ऑफ मर्चेंट नेवी के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने के बाद अदालत ने 29 जून को मामले की सुनवाई की।

मामला कुछ इस तरह है कि वलसाड के भूपेंद्र सिंह, जयपुर के विकास चौधरी, भूमराम रूंदला और रतिराम जाट (दोनों भाई), रांची के अमित कुमार, लुधियाना के जितेंद्र सिंह, भिवानी के विक्रम सिंह, रेवाड़ी के नरेंद्र कुमार, महाराष्ट्र के प्रकाश जाधव तथा अलीगढ़ के श्रवण सिंह ने हैदराबाद स्थित इस मर्चेंट नेवी प्रशिक्षण संस्थान में प्रवेश लिया था। कोर्स के दौरान ही ऑन बोर्ड ट्रेनिंग और नौकरी का वादा किए जाने के चलते इन छात्रों को एजेंटों के जरिए दुबई की बिन खादिम कंपनी के तेल वाहक जहाज अल वतूल पर तैनाती करा दी गई। युवकों ने अपने परिजनों को बताया था कि वे शारजाह से ईरान तेल के आयात-निर्यात करने वाले जहाज पर तैनात हैं। पिछले साल माह फरवरी के अंतिम सप्ताह में ये लोग शारजाह के लिए रवाना हुए और अप्रैल तक ये लोग अपने परिजनों से संपर्क करते रहे। बाद में पता लगा कि अल वतूल जहाज को ईरानी कोस्टल गार्ड ने अपने कब्जे में ले लिया है। ज्यादा छानबीन की गई तो पता चला कि जहाज रास्ता भटककर ईरानी सीमा में चला गया और जहाज पर तैनात सभी कर्मियों को तस्करी के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया है।

15 मई, 2010 को इनमें से एक युवक श्रवण सिंह की मौत हो गई।

लापता नाविकों के परिजनों ने बंदर अब्बास स्थित भारतीय वाणिज्य दूतावास से संपर्क किया। लेकिन आश्वासनों के अलावा कोई खास मदद नहीं मिली।

इस संबंध में सभी लापता नाविकों के परिजन अभी तक राष्ट्रपति प्रतिभादेवी सिंह पाटिल और गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी से मदद की गुहार लगा चुके हैं।

पिछले दिनों जंतर-मंतर पर अनशन भी किया जा चुका है। लेकिन अभी तक कोई सफलता नहीं मिली है।

Friday, May 27, 2011

और धूं-धूंकर जल उठा विमान आसमान में....

धर्मेंद्र कुमार
फरीदाबाद (भारत): फरीदाबाद में एक छोटा चार्टर्ड प्लेन हादसे का शिकार हो गया। इस हादसे में 10 लोग मारे गए और 3 लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। ‘पीसी 12 हार्टजेल’ विमान वास्तव में एम्बुलेन्स फ्लाइट थी, जिसमें एक मरीज सहित सात लोग थे।
विमान में एक मरीज राहुल राज (20 वर्ष), दो पायलट- कैप्टन हरप्रीत और कैप्टन मंजीत कटारिया, दो डॉक्टर- डॉ. अरशद एवं डॉ. राजेश, सिरील नामक एक पुरुष नर्स और मरीज का एक परिजन रत्नेश कुमार सवार थे। पटना के जयप्रकाश नारायण अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के निदेशक अरविंद दुबे ने बताया कि विमान ने वहां से साढ़े सात बजे उड़ान भरी।
यह चार्टर्ड विमान मरीज राहुल राज को लेकर दिल्ली आ रहा था। विमान करीब 10 बजकर 35 मिनट पर वायुसेना स्टेशन के समीप पर्वतीय कॉलोनी में एक मकान पर गिरकर दुर्घटनाग्रस्त हो गया।
राहुल के पिता और चाचा राहुल के पहुंचने से पहले खुद दिल्ली पहुंच गए, ताकि यहां सारा इंतजाम पहले से हो जाए। अस्पताल की सारी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद वे राहुल के आने का इंतजार करने लगे। समय काटने के लिए वे लोग टीवी देख रहे थे, तभी उन्हें इस दर्दनाक हादसे की खबर मिली। इस हादसे की खबर जैसे ही बेतिया में राहुल के घर पहुंची, वहां मातम छा गया।
इस प्लेन क्रैश में तीन लोग घायल हुए हैं, जिन्हें फरीदाबाद के बीके अस्पताल में भर्ती कराया गया है। ये वे लोग हैं, जो हादसे के बाद लोगों को बचाने के लिए मौके पर पहुंचे थे, लेकिन राहत और बचाव का काम करते हुए जख्मी हो गए।

प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि रात करीब साढ़े 10 बजे एकाएक धूल भरी आंधी आई। उसी दौरान आसमान में धू-धू की आवाज को सुनकर लोग घबरा गए, लेकिन बादलों के कारण लोगों को विमान साफ-साफ नजर नहीं आया। इससे पहले कि लोग कुछ समझ पाते, विमान पर्वतीय कालोनी के एक मकान पर जा गिरा।
पटना स्थित जगदीश मेमोरियल अस्पताल के डॉ. आलोक कुमार ने बताया कि 20 वर्षीय राहुल जिगर की बीमारी से पीड़ित था और 22 मई को इस अस्पताल में उसे भर्ती कराया गया था। उसकी हालत बिगड़ने पर उसके चचेरे भाई रत्नेश कुमार ने दिल्ली स्थित अपोलो अस्पताल से संपर्क किया और वहां के दो डॉक्टरों के साथ उसने एंबुलेन्स फ्लाइट बुलवाई थी। इसी फ्लाइट से राहुल को दिल्ली स्थित अपोलो अस्पताल लाया जा रहा था। बताया जाता है कि बेतिया के रहने वाले राजेश कुमार का बेटा राहुल कोमा में था।


विमान गिरने के बाद घर में आग लग गई थी। दमकल विभाग की गाड़ियों ने आग पर काबू पा लिया। जवाहर कालोनी स्थित अपने घर की छत से विमान को गिरते देख रही प्रत्यक्षदर्शी ऋचा गुप्ता के अनुसार आग की लपटें दूर-दूर तक देखी गईं। कुछ अन्य प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार विमान में आग हवा में ही लग गई थी। लोगों ने जलता हुआ विमान गिरते देखा।
(कुछ अंश और फोटो भाषा से, वीडियो एनडीटीवीखबर.कॉम से)

Friday, January 28, 2011

India Marches Against Corruption…

New Delhi (India) (Mediabharti Syndication Service): Come 30th January and thousands of people in many cities across India and abroad will take to streets to demand effective anti-corruption law and passage of Jan Lokpal Bill.

In Delhi, Swami Agnivesh, Kiran Bedi, Arvind Kejriwal, Anna Hazare, Prashant Bhushan, Maulana Mahmood Madani, Vincent M Concessao and others will march from Ramlila Grounds to Jantar Mantar, the day Mahatma Gandhi was assassinated, at 1 pm to demand enactment of a law to set up an effective anti-corruption body called Lokpal at the Centre and Lokayukta in each state (the existing Lokayukta Acts being weak and ineffective). Large number of college students, professionals from corporate sector, teachers RWA members, government employees, lawyers, doctors and others will participate in this march.

Kiran Bedi, Justice Santosh Hegde, Prashant Bhushan, JM Lyngdoh and others have drafted this Bill. A nation wide movement called ‘India Against Corruption’ has been started by Sri Sri Ravi Shankar, Swami Ramdev, Swami Agnivesh, Vincent M Concessao, Kiran Bedi, Arvind Kejriwal, Anna Hazare, Devinder Sharma, Sunita Godara, Mallika Sarabhai and many others to persuade government to enact this Bill.

UPA Chairperson Sonia Gandhi recently announced that Lokpal would be set up. However, the Lokpal suggested by the government is only a showpiece. It will have jurisdiction over politicians but not bureaucrats, as if politicians and bureaucrats indulge in corruption separately. And the most interesting part is that like other anti-corruption bodies in our country, the government is making Lokpal also an advisory body. So, Lokpal will recommend to the government to prosecute its ministers. Will any prime minister have the political courage to do that?

For details, please visit this link for Full Text Of Bill.

Wednesday, January 19, 2011

ये किस तरह की पत्रकारिता है...?

आगरा के वरिष्ठ पत्रकार और आगराटुडे.इन के संपादक बृज खंडेलवाल को दैनिक जागरण के आगरा संस्करण ने 'मृत' घोषित कर दिया।

पेज छह पर छपी खबर 'शैलेंद्र रघुवंशी स्मृति में दिवंगतजनों को नमन' के अनुसार 'नगर के दिवंगत बृज खंडेलवाल, कांति भाई पटेल, निरंजन लाल शर्मा, अतुल माहेश्वरी और एचके पालीवाल आदि को दो मिनट का मौन रखकर श्रद्धांजली अर्पित' की गई।

दरअसल, नागरी प्रचारिणी सभा के शताब्दी वर्ष और दिवंगत रंगकर्मी शैलेंद्र रघुवंशी की याद में मंगलवार को गीतांजलि, नाट्यांजलि समारोह का आयोजन किया गया। अखबार में इस समारोह को लेकर खबर छापी गई थी। जिसमें अन्य दिवंगतों के साथ बृज खंडेलवाल का भी नाम जोड़ दिया गया।

इस सिलसिले में दिनभर आगराटुडे.इन के कार्यालय में लोगों के फोन कॉल और ऑनलाइन पूछताछ आती रही।

Friday, January 14, 2011

'धुरंधर धर्मगुरु', और धंधे की पराकाष्ठा...

धर्मेंद्र कुमार
जीवन कैसे जिया जाना चाहिए, इसके विभिन्न तरीकों की जानकारी विभिन्न धर्मों से मिलती है, परंतु जीने का मूलभूत तरीका एक ही है, इसलिए कमोबेश सभी धर्म एक ही तरह की सलाह देते दिखते हैं... इसीलिए कहा भी जाता है, सभी धर्म समान हैं...
ऐसा माना जाता रहा है कि आम आदमी को जीने के उचित तौर-तरीकों की 'ज्यादा' जानकारी नहीं है, इसलिए, उन्हें 'शिक्षित' करने का काम धर्मगुरुओं को सौंप दिया गया, जो समय-समय पर धर्म की व्याख्या कर लोगों को 'राह' दिखाने का काम करते रहे हैं...
बचपन से अब तक मां-बाप, अध्यापकों और किताबों से जो थोड़ी-बहुत जानकारी धर्मगुरुओं के बारे में मिली, उससे उनकी एक छवि दिमाग पर अंकित हो गई... एक वृद्ध, कृशकाय शरीर, ममता से भरा अतिसंवेदनशील व्यक्तित्व... उनके पास जब भी आप जाएंगे, वही ममता पाएंगे, जो मां की गोद में मिलती है... वही सहारा मिलेगा, जो पिता अपने बच्चे को देता है... वही ज्ञान मिलेगा, जो एक अच्छा अध्यापक अपने प्रिय शिष्य को देता है...
मेरे दिमाग में अंकित इस छवि को सबसे पहले तोड़ा, मेरे एक सहपाठी ने... पत्रकारिता संस्थान के दिनों में मेरे एक साथी ने खुलासा किया कि वह पत्रकारिता का कोर्स सिर्फ इसलिए कर रहा था, क्योंकि उसके भाई एक 'उभरते' हुए कथावाचक थे और उसे कालांतर में भैया का 'पब्लिक रिलेशन' विभाग संभालना था। उस समय मेरे लिए यह किसी आश्चर्य से कम नहीं था, परंतु उसका कहना था, कथावाचन करोड़ों का पेशा है और 'धन-पशु' मोटा चढ़ावा और दान दिया करते हैं... कथावाचन के पेशे में आगे बढ़ने के लिए 'तकनीकी' रूप से जागरूक होना अनिवार्य है, अत:, पत्रकारिता की जानकारी और परिचय बनाने भी जरूरी हैं...
इसके बाद संयोग से मेरे पत्रकारिता जीवन की शुरुआत में मुझे भी धर्म-कर्म की खबरों के संकलन का ही काम दिया गया, जिसके परिणामस्वरूप कई धर्मगुरुओं, मठाधीशों और महंतों से मेरा साबका पड़ा... मुझे याद है, हमारे प्रभारी ने मुझे आगरा के मन:कामेश्वर मंदिर के 'नामी-गिरामी' महंत से मिलने का निर्देश दिया, क्योंकि तत्कालीन मानव संसाधन विकास मंत्री डॉ. मुरली मनोहर जोशी ने ज्योतिष को पाठ्यक्रम में शामिल कराया था, जिस पर महंत जी के विचार जानने थे... मेरे लिए किसी 'स्टार' महंत से साक्षात्कार का यह पहला अवसर होने वाला था... जब मैं उनके पास पहुंचा तो बताया गया कि महंतजी भोजन कर रहे हैं। मुझे उनके कक्ष के बाहर प्रतीक्षा के निर्देश दिए गए...
इस दौरान मस्तिष्क में यही चलता रहा कि एक ममतामयी मां, एक परवाह करने वाले पिता और एक ज्ञानी अध्यापक से मिलने जा रहा हूं... कुछ ही क्षण बाद मुझे अंदर बुलाया गया, परंतु वहां का वैभव मेरे मन में बसी छवि के लिए कुठाराघात सिद्ध हुआ... मैं दंग रह गया, और महंतजी बॉलीवुड की फिल्मों की तरह सुनहरे सिंहासन पर विराजमान थे... खैर, मैंने सवाल किए, और उन्होंने अपनी राय दे दी... मैं चलता बना...
बाहर निकलने के बाद मैं बेहद सकते की सी हालत में था, बचपन से बनी छवि के छिन्न-भिन्न हो जाने के कारण... परिणाम यह रहा कि कुछ दिन के बाद ही जब मुझे संत आसाराम बापू के आगरा प्रवास के दौरान उनका साक्षात्कार लेने का निर्देश मिला, तब मैंने अपने प्रभारी से अनिच्छा जताई, और उन्होंने भी मेरी प्रार्थना का सम्मान रखते हुए किसी अन्य साथी को वह काम सौप दिया... बाद में आसाराम बापू के साथ क्या-क्या हुआ, सब जानते हैं...
ऐसे ही किस्से सुन-सुनकर धर्म के प्रति अगाध निष्ठा होने के बावजूद धर्मगुरुओं के प्रति मेरे मन में सम्मान के स्थान पर आश्चर्यजनक रूप से ग्लानि भाव बढ़ने लगा... कालांतर में, मैं दिल्ली आ गया और यहां भी मुझे कई 'संतों' के बारे में करीब से जानने का अवसर प्राप्त हुआ... धर्म के ठेकेदारों के पास भी किसी कॉरपोरेट की ही तरह 'फ्रेंचाइज़ी' हो सकते हैं, होते हैं, यह यहां आकर ही पता चला... किसी 'भगवान' के पास भक्तों की दी करोड़ों की संपत्ति है, किसी के पास किसी ट्रस्ट या वक्फ की आड़ है, और किसी के पास करोड़ों के टर्नओवर वाला दवाओं का व्यापार... कुछ के पास बाकायदा 24 घंटे लगातार प्रसारण करने वाले टीवी चैनल भी हैं, लेकिन संपत्ति भक्तों की बताई जाती है... धंधे अलग-अलग होने के बावजूद जो बात इन सभी बाबाओं में समान है, वह है संन्यास और निर्मोह जीवन की बातें और करोड़ों का ज़खीरा...
ये बाबा और 'भगवान' राजाओं-महाराजाओं की तरह आम जनता से मिलते हैं, 'दरबार' लगाते हैं और व्यापार का कोई मौका नहीं चूकते... कई ऐसे संत भी हैं, जिनके भूतकाल या यूं कहिए, 'वाल्मीकि' जीवन के बारे में यदा-कदा खबरें मिलती रहती हैं... लेकिन धंधे की पराकाष्ठा क्या हो सकती है, यह तय नहीं कर पा रहा था... अब ऐसा लगता है, पराकाष्ठा की तलाश शायद खत्म हो जाएगी... हाल ही में भगवद्भूमि कहे जाने वाले वृंदावन में एक पॉपुलर 'संत' ने अपनी ही पत्नी (जो प्राचीन काल में गुरु की पत्नी होने के नाते मां-समान कही जाती थीं) और अन्य सगे-संबंधियों की अश्लील (ब्लू) फिल्में बनाकर इस व्यवसाय में हाथ आजमाया... इन फिल्मों की विशेषता 'घर के अभिनेताओं' के अतिरिक्त पृष्ठभूमि में मौजूद धार्मिकस्थल, भगवानों की मूर्तियां, तथा दीवारों पर लिखे सूत्रवाक्य हैं... उक्त 'संत' ने ऐसा क्यों किया, इसके कारण सोचने का प्रयास करने पर फिलहाल एक ही बात समझ आती है, कि शायद विदेशी बाज़ार में इस ‘कॉन्टेन्ट’ की ज्यादा मांग है... मामले की पोल तब खुली, जब 'संत' जी का कम्प्यूटर खराब हो गया और सही करने वाले ने पूरा 'बैकअप' लेकर शहर-भर में मुफ्त बांट दिया... अब 'संत' जी फरार हैं, पुलिस मामले की जांच कर रही है... कहा जा रहा है कि यह गोरखधंधा दो-तीन साल से जारी था...
इसके अलावा भी कुछ और जानकारी पुलिस तंत्र से छन-छनकर आ रही है... ऐसे अन्य संत भले ही अपनी पत्नियों या बेटियों की ब्लू फिल्में नहीं बना रहे होंगे, लेकिन 'धंधा' वे भी चलाते हैं... जिसके लिए पूरा 'तंत्र' बना रहता है, 'ऑफिस बियरर' भी होते हैं, 'पब्लिक रिलेशन ऑफिसर' भी... 'मार्केटिंग मैनेजर' भी होते हैं, और यहां तक कि मीडिया में भी 'सेटिंग' रहती है... बाबा अपने नाम का जितना ज़्यादा प्रचार करवा पाएगा, उतना ही भक्तों की गिनती बढ़ेगी, और उसी अनुपात में बढ़ेगा, आश्रम में पहुंचने वाला चढ़ावा... प्रवचन के दौरान भी चढ़ावे के वजन के हिसाब से भक्तों को बैठने का स्थान दिया जाता है... 'बड़े' भक्त आगे, बाबा के करीब, और 'छोटे' भक्त पीछे की ओर... जितना ज्यादा चढ़ावा, उतना ही संत जी के करीब पहुंचेगा भक्त...
अब एक बात हम सभी के लिए... संतों की इस 'बिजनेस व्यवस्था' को पनपने देने के लिए दरअसल हम आम धर्मभीरु नागरिक ही जिम्मेदार हैं, जो अपनी परेशानियों को दूर करने के लिए भगवान से मदद चाहते हैं, और उसी उद्देश्य से आगा-पीछा सोचे बिना बाबाओं की गोद में जाकर बैठ जाते हैं... ऐसे ही अंधभक्तों की बदौलत चलता है, आस्था का यह कारोबार... अब देखना यह है कि कब खुलती हैं हमारी आंखें, वरना धंधे में नीचे गिरने की पराकाष्ठा रोज़ बदलती रहेंगी...

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